नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली के आक्रामक खेल और ऐटिट्यूड की तुलना कई बार वेस्ट इंडीज के दिग्गज बल्लेबाज विवियन रिचर्ड्स से की जाती है। खुद कोहली भी कई बार कह चुके हैं कि वह रिचर्ड्स के कितने बड़े फैन हैं। भारत और वेस्ट इंडीज के बीच होने वाली टेस्ट सीरीज से पहले कोहली ने सर विवियन से बात की। बीसीसीआई. टीवी के लिए हुई इस बातचीत में कोहली ऐंकर बने हैं और सर विव से सवाल पूछ रहे हैं-
सर विवियन रिचर्डस का यह इंटरव्यू दो हिस्सों में है। अभी इसका पहला पार्ट ही सामने आया है। कोहली ने रिचर्ड्स से स्टाइल और बल्लेबाजी के बारे में बात की।
विराट कोहली- जब आप खेलते थे तो किस तरह की चुनौतियों का सामना करते थे और आपके आत्मविश्वास के पीछे का राज क्या था?
विवियन रिचर्ड्स- मुझे हमेशा लगता था कि मैं इस स्तर पर क्रिकेट खेलने के लायक हूं। मैं हमेशा खुद को सर्वश्रेष्ठ रूप में अभिव्यक्त करना चाहता था। मैं इसी तरह का जुनून आपके (विराट) अंदर भी देखता हूं। कई बार लोग यह देखकर कहते हैं- ‘यह इतना गुस्से में क्यों है?’विराट कोहली- मैंने जब भी आपके विडियो देखे तो आपको सिर्फ टोपी पहनकर मैदान पर उतरते पाया। उस दौर में हेलमेट नहीं हुआ करते थे। लेकिन जब हेलमेट आ भी गए तब भी आपने हेलमेट न पहनने का फैसला किया। मैं जानता हूं कि उस समय पिचें पूरी तरह तैयार नहीं होती थीं। तो ऐसे वक्त में आपके दिमाग में क्या चल रहा होता था। तब बाउंसर्स से बचने के पर्याप्त उपाय भी नहीं होते थे। ऐसे में आप जाकर गेंदबाजों पर हावी हो जाते थे? ड्रेसिंग रूम से निकलकर पिच तक जाने में आप क्या सोचते थे?
विवियन रिचर्ड्स- मुझे लगता था कि मैं कर सकता हूं। यह थोड़ा अभिमानी लग सकता है लेकिन मुझे हमेशा लगता था कि मैं इस खेल को जानता हूं। मैंने हर बार खुद पर भरोसा किया। आप खेल के दौरान गेंद लगने के लिए तैयार रहते हैं। मैंने हेलमेट ट्राय किया लेकिन यह थोड़ा असहज लगा। तो मैं अपनी मरून कैप पहनकर ही खेला। इसे पहनकर मुझे बहुत गर्व होता था। मुझे हमेशा लगता था कि मैं इस स्तर पर खेल सकता हूं। अगर मुझे गेंद लगती है तो यह ईश्वर की मर्जी है लेकिन मैं बच जाऊंगा।
विराट कोहली- मेरा मानना है कि अगर पारी की शुरुआत में ही गेंद लग जाए तो यह अच्छा होता है बजाय इसके कि आप हमेशा यही सोचते रहें कि गेंद आपको लग सकती है।
विवियन रिचर्ड्स- आप खेलेंगे तो गेंद आपको लगेगी। यह खेल का हिस्सा है। अब आप इससे कैसे और कितनी जल्दी बाहर आते हैं यह काफी मायने रखता है। पहले जब चेस्ट गार्ड आदि नहीं होते थे और आपको गेंद लगती थी तो आपको खेल का अहसास होता है। यह सब खेल का हिस्सा है।