अफगानिस्तान में करीब 18 वर्षों से चल रही जंग को खत्म करने के प्रयास के तहत दोहा में अमेरिका और तालिबान के बीच होने वाली वार्ता से वाशिंगटन को काफी उम्मीदें हैं। अफगानिस्तान पर वर्ष 2001 में हमला करने और तालिबान को सत्ता से उखाड़ फेंकने वाला अमेरिका अपने हजारों सैनिकों को वापस बुलाना और जंग को खत्म करना चाहता है।लेकिन, सबसे पहले अमेरिका आतंकियों से आश्वासन चाहता है कि वे अलकायदा का साथ छोड़ दें और इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी समूहों को रोकें। वाशिंगटन, अफगान चुनाव और अमेरिका में 2020 में प्रस्तावित राष्ट्रपति चुनाव से पहले एक सितंबर तक तालिबान के साथ शांति समझौता करने की उम्मीद कर रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में शुक्रवार को पत्रकारों को बताया, ‘‘हमने बहुत प्रगति की है। हम बात कर रहे हैं।’’ अफगानिस्तान के लिए अमेरिकी दूत जलमय खलिलजाद ने शुक्रवार को ट्वीट किया, ‘‘हम शांति समझौते पर बात कर रहे हैं, वापसी के लिए करार नहीं कर रहे।’’ इ
स्लामाबाद में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ वार्ता के बाद दोहा पहुंचने के बाद उन्होंने ट्वीट किया। उन्होंने कहा, ‘‘अफगानिस्तान में हमारी मौजूदगी सशर्त है और किसी भी तरह की वापसी भी सशर्त होगी।’’ प्रगति के एक और संकेत के तौर पर अफगान सरकार ने तालिबान के साथ अलग शांति वार्ता के लिए एक वार्ता दल बनाया है और राजनयिकों को उम्मीद है कि इस महीने वार्ता हो सकती है।