UNSC के सदस्यों ने मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के फैसले का किया स्वागत

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न्यू यॉर्क : आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के प्रमुख मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति द्वारा अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के कदम को सुरक्षा परिषद के कई देशों ने आतंक के सरगनाओं को उनकी हिंसा के लिए जवाबदेह ठहराने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानते हुए स्वागत किया है। चीन लंबे समय से अपने वीटो का इस्तेमाल करके अजहर को इस सूची में शामिल किए जाने में रोड़ा अटका रहा था। अमेरिका ने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय समुदायों की प्रतिबद्धता दिखाता है यह फैसला’
अमेरिका के स्थाई प्रतिनिधि जोनाथन कॉहेन ने परिषद को बताया, ‘अजहर को इस सूची में शामिल किया जाना दिखाता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय आतंकवादियों को उनके कृत्यों के लिए जवाबदेह ठहरा सकता है और ठहराएगा।’ कॉहेन ने आंतकवाद से निपट रही परिषद की समितियों की ब्रीफिंग के दौरान कहा कि वॉशिंगटन खुश है कि इस्लामिक स्टेट और अल कायदा का मामला देख रही परिषद की समिति ने अजहर को प्रतिबंधित सूची में शामिल किया है। समिति को इस बढ़ते जा रहे खतरे पर काबू पाने के लिए अपनी रफ्तार जारी रखनी होगी।’

अजहर को 1267 समिति द्वारा आतंकवादी प्रतिबंध सूची में शामिल करने में एक दशक तक बाधा पैदा कर रहे चीन पर अमेरिका ने वीटो हटाने के लिए दवाब डाला था। भारत में कई हमले करने वाले जेईएम प्रमुख को आखिरकार एक मई को इस सूची में डाल दिया गया। चीन के काउंसलर शाओजुन याओ ने 1267 समिति को बीजिंग के सहयोग का आश्वासन दिया था। याओ के अनुसार 1267 समिति आतंकवादी खतरों का आकलन करने और प्रतिबंध लगाने वाले कदमों को मजबूत करने में उल्लेखनीय भूमिका निभाने के साथ एक महत्वपूर्ण आतंकवाद रोधी तंत्र है।

रूस के स्थाई उप प्रतिनिधि गेनाडी कुजमिन ने कहा कि 1267 समिति ने खुद को आतंकवाद के खिलाफ परिषद के सबसे प्रभावी तंत्रों में से एक साबित किया है।
जर्मनी के स्थाई प्रतिनिधि क्रिस्टोफ ह्यूसगेन ने कहा, ‘मुझे लगता है कि यह इस समिति के काम के लिए अच्छा संकेत है कि हम मसूद अजहर को इस सूची में शामिल कराने में सक्षम रहे। यह कुछ लोगों के लिए मुश्किल था, लेकिन यह बेहद महत्वपूर्ण है कि हम इन अड़चनों को पार कर पाए और उसे सूची में शामिल कर पाए।’

इस महीने अपना पक्ष बदलने से पहले चीन यह कहते हुए अजहर को इस सूची में शामिल करने का विरोध करता रहा था कि आतंकवाद में उसकी भूमिका के सबूत अपर्याप्त हैं। चीन ने उम्मीद जताई है कि समिति ठोस सबूत के आधार पर कार्यवाही करेगी। 2001 में भारतीय संसद पर, 2016 में पठानकोट एयर बेस पर हमला करने वाले आतंकी संगठन जैश ने फरवरी में पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) जवानों को लेकर जा रही बस पर भी आत्मघाती हमला किया था जिसमें 40 से ज्यादा जवान शहीद हुए थे।

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