बेंगलुरु : टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), कॉग्निजेंट तथा इन्फोसिस के सबसे ज्यादा एच1बी वीजा विस्तार आवेदन को खारिज किया गया। ट्रंप सरकार द्वारा एच1बी वीजा के नियमों को कठोर करने के बाद इस कदम को अमेरिकी प्रौद्योगिकी कंपनियों के समर्थन के रूप में देखा जा रहा है। बड़ी बात यह है कि एक तरफ भारतीय कंपनियों का एच1बी वर्कफोर्स को घटाया जा रहा है, तो अमेरिकी कंपनियों का एच1बी वर्कफोर्स बढ़ाया जा रहा है। अमेरिकी सरकार के कदम से भारत की शीर्ष आईटी कंपनियां इन्फोसिस और टीसीएस सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। इन्फोसिस के कुल 2,042 वीजा एक्सटेंशन को खारिज कर दिया गया, जबकि टीसीएस के 1,744 वीजा एक्सटेंशन आवेदन को खारिज किया गया। ये आंकड़े एच1बी वीजा आंकड़ों के विश्लेषण के बाद एक अमेरिकी थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर इमिग्रेशन स्टडीज’ ने जारी किए हैं।
अमेरिकी कंपनी कॉग्निजेंट के कुल 3,548 आवेदनों को खारिज किया गया, जो किसी भी एक कंपनी के लिए सर्वाधिक आंकड़ा है। कॉग्निजेंट के अधिकांश कर्मचारी भारतीय हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय आईटी कंपनियों के मामले में जांच में बढ़ोतरी या मानदंडों का कड़ाई से पालन से इन कंपनियों की वृद्धि पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है, खासकर ऐसे समय में जब इन कंपनियों ने एच1बी आवेदनों में अपनी तरफ से भारी कमी की है।
यूएस सिटिजनशिप ऐंड इमिग्रेशन सर्विसेज (यूएससीआईएस) द्वारा जारी आंकड़ों के विश्लेषण के बाद थिंक टैंक ने कहा कि 30 शीर्ष कंपनियों के जितने आवेदन खारिज किए गए हैं, उनमें से लगभग दो तिहाई आवेदन छह भारतीय कंपनियों-टीसीएस, इन्फोसिस, विप्रो, कॉग्निजेंट और टेक महिंद्रा की अमेरिकी शाखा और एचसीएल टेक्नोलॉजीज द्वारा दिए गए थे।
इन छह कंपनियों को महज 16 फीसदी या 2,145 वर्क परमिट दिए गए, जो ऐमजॉन को मिले 2,399 वर्क परमिट से कम हैं। अधिकांश प्रौद्योगिकी कंपनियों द्वारा इस्तेमाल में लाए जाने वाले एच1वीजा आरंभ में तीन साल के लिए दिया जाता है, साथ में इसे आगे तीन साल के लिए और बढ़ाने का विकल्प भी होता है।
सेंटर फॉर इमिग्रेशन स्टडीज ने छह मार्च को जारी अपने अध्ययन में कहा कि साल 2018 में अमेरिका की दिग्गज कंपनियों जैसे माइक्रोसॉफ्ट, ऐमजॉन और एपल ने अपने एच1बी वीजा वर्कफोर्स में बढ़ोतरी की गई, जबकि कॉग्निजेंट, टाटा और इन्फोसिस जैसी भारतीय कंपनियों के एच1बी वर्कफोर्स को घटा दिया गया।
टीसीएस, इन्फोसिस तथा कॉग्निजेंट ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। वहीं एचसीएल टेक्नोलॉजीज ने भी इसपर कोई तत्काल टिप्पणी नहीं की।