आरबीआई वित्तीय संस्थानों के ग्राहकों के लिया इलेक्ट्रॉनिक वेरिफिकेशन के नए तरीके कर सकता है शुरू

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बेंगलुरु: फाइनैंशल इंस्टीट्यूशंस के कस्टमर्स के इलेक्ट्रॉनिक वेरिफिकेशन के लिए आरबीआई नए तरीके शुरू कर सकता है। आरबीआई की योजना से वाकिफ पेमेंट कंपनियों के दो सीनियर अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इसके तहत लाइव वीडियो का तरीका भी अपनाया जा सकता है।

पिछले सप्ताह पेमेंट इंडस्ट्री के अधिकारियों के साथ मीटिंग में आरबीआई के अधिकारियों ने संकेत दिया था कि वे डिजिटल ऑथेंटिकेशन मेथड शुरू करना चाहते हैं, जिसमें एक्सएमएल इंटरनेट फॉर्मैट का उपयोग आधार डेटाबेस से कस्टमर्स की सीमित जानकारी हासिल करने में किया जाएगा। इसमें भारत के निवासियों के लिए आधार डिजिटल आइडेंटिटी जेनेरट करते वक्त इकट्ठा किए गए बायोमीट्रिक्स शामिल नहीं होंगे।

अब प्रतिबंधित कर दिए गए आधार बायोमीट्रिक्स बेस्ड इलेक्ट्रॉनिक कस्टमर वेरिफिकेशन की जगह वीडियो का उपयोग करने का सुझाव इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों ने दिया। पेमेंट्स इंडस्ट्री के अधिकारियों ने बताया कि आरबीआई रिकॉर्डेड वीडियो के बजाय लाइव वीडियो के प्रति ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहा है।

एक अधिकारी ने बताया, ‘आरबीआई क्यूआर बेस्ड ऑथेंटिकेशन के बजाय एक्सएमएल बेस्ड आधार ऑथेंटिकेशन शुरू करने पर जोर दे रहा है क्योंकि इंडस्ट्री पहले वाले के लिए अभी तैयार नहीं है।’ अधिकारियों ने बताया कि आरबीआई अपनी नो योर गाइडलाइंस बदलने से पहले प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में संशोधन किए जाने का इंतजार कर रहा है क्योंकि नो योर गाइडलाइंस पर एग्जिक्यूटिव अथॉरिटी इस कानून से ही मिलती है।

सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर में कस्टमर वेरिफिकेशन के लिए प्राइवेट इकाइयों के आधार लिंक्ड बायोमीट्रिक्स का उपयोग करने पर रोक लगा दी थी। उसके बाद इस तरीके का उपयोग करने वाले बैंकों और फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी कंपनियों को दिक्कत हो रही है। आधार से जुड़े क्यूआर कोड बेस्ड ऑथेंटिकेशन सहित ईकेवाईसी के दूसरे तरीकों पर विचार किया जा रहा है, लेकिन इन्हें पूर्ण रूप से लागू करने में कई दिक्कतें बताई जा रही हैं।

घटनाक्रम से वाकिफ पेमेंट्स कंपनी के एक अधिकारी ने कहा, ‘वीडियो बेस्ड केवाईसी का तरीका ठीक है। इसका सुझाव कुछ टेक्नोलॉजी स्टार्टअप्स ने दिया है। आरबीआई चाहता है कि लाइव वीडियो का उपयोग हो। वह रिकॉर्डेड वीडियो का उपयोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए करने को उत्सुक नहीं है।’

इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स ने कहा कि ये वैकल्पिक तरीके कागज के इस्तेमाल वाले कस्टमर ऑथेंटिकेशन से सस्ते तो हैं, लेकिन एक्सएमएल बेस्ड केवाईसी की जटिल प्रक्रिया कस्टमर्स को प्रभावित करेगी। यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया की गाइडलाइंस के अनुसार, आधार डेटाबेस पर आधारित एक्सएमएल जेनरेट करने के लिए कम से कम तीन चरणों वाली प्रक्रिया होनी चाहिए।

कस्टमर्स का ऑथेंटिकेशन करने वाली एक स्टार्टअप के फाउंडर ने कहा, ‘तकनीकी काम में कुशल लोग यह कर सकते हैं, लेकिन समाज के वंचित तबके को बड़ी परेशानी होगी।’

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