नीम के अर्क में डायबीटीज, बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने के गुण पाए जाते हैं। नीम के तने, जड़, छाल और कच्चे फलों में शक्ति-वर्धक और मियादी रोगों से लड़ने का गुण भी पाया जाता है। इतना ही नहीं, डेंगू से लड़ने में कारगर हो सकता है, नीम का जूस।
डेंगू के मरीजों की सबसे बड़ी समस्या ये होती है कि उनके खून में मौजूद प्लेटलेट्स की संख्या घट जाती है जो जानलेवा साबित हो सकता है। नीम की पत्तियों में मौजूद औषधीय गुणों की वजह से न सिर्फ खून का प्लेटलेट काउंट बेहतर होता है बल्कि बीमारियों से लड़ने में मदद करने वाले वाइट ब्लड सेल्स भी बेहतर होते हैं, जिससे डेंगू से लड़ने में मदद मिलती है।मुट्ठी भर नीम की ताजी पत्तियों को अच्छे से धोकर 1 कप पानी के साथ ब्लेंडर में डालकर पीस लें। जब पत्तियां पूरी तरह से पीस जाएं तो इस जूस को मलमल के कपड़े से छान लें। नीम जूस तैयार है। आप पीने में कड़वा लग रहा हो तो आप इसमें थोड़ा सा शहद डालकर भी पी सकते हैं। आप चाहें तो नीम का काढ़ा बनाकर भी पी सकते हैं। इसके लिए नीम की पत्तियों को 1 गिलास पानी के साथ उबालें और जब पानी आधा रह जाए तो उसे छानकर पी लें। नीम में मौजूद ऐंटी-वायरल गुण इम्यूनिटी बढ़ाएगा और डेंगू के बुखार से निजात दिलाएगा।
नीम प्राकृतिक एंटी ऑक्सीडेंट से तो भरपूर है ही साथ ही इसमें जड़ीबूटी के गुण भी हैं। इससे आपका ब्लड साफ होता है और आपका लीवर और किडनी भी स्वस्थ रहती हैं। नीम शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करती हैं, जिससे हमारा ब्लड सकुर्लेशन भी ठीक बना रहता है। इससे हाई ब्लडशुगर और ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल में रहता है।पीलिया यानी जॉन्डिस में भी नीम का इस्तेमाल फायदेमंद है। पित्ताशय से आंत में पहुंचने वाले पित्त में रुकावट आने से पीलिया होता है। ऐसे में रोगी को नीम के पत्तों के रस में सोंठ का चूर्ण मिलाकर देना चाहिए या फिर 2 भाग नीम की पत्तियों का रस और 1 भाग शहद मिलाकर पीने से पीलिया रोग में काफी फायदा होता है। पथरी की समस्या से बचने के लिए लगभग 150 ग्राम नीम की पत्तियों को 1 लीटर पानी में पीसकर उबाल लें। इस पानी को सामान्य होने पर पी लें। नियमित रूप से ऐसा करने से पथरी निकल सकती है। पथरी अगर किडनी में है तो रोज नीम के पत्तों की लगभग 2 ग्राम राख पानी के साथ लें, लाभ होगा।