अनिल अंबान की कंपनी रिलायंस नैवल इंजिनियरिंग लिमिटेड को नौसेना का झटका

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नई दिल्ली :नेवी चीफ एडमिरल सुनील लांबा ने यहां खुलासा किया कि कर्ज से लदी रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड (RNEL) की बैंक गारंटी भुना ली गई है। उन्होंने बताया कि नेवल ऑफशोर पैट्रोल वेसेल्स के प्रोजेक्ट को डेडलाइन के चार साल बाद भी पूरा न करने पर यह कदम उठाया गया। लांबा सोमवार को इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या अनिल अंबानी की इस कंपनी के खिलाफ कोई ऐक्शन लिया गया है। RNEL को भारतीय नौसेना के लिए समुद्र में गश्त लगाने वाले जहाज बनाने का जिम्मा दिया गया था। नौसेना दिवस से पहले लांबा ने सवालों के जवाब में कहा, ‘जहां तक RNEL का सवाल है तो उसे कोई तरजीह नहीं दी जा रही है। उसकी बैंक गारंटी नेवी ने भुना ली है। RNEL के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की गई है।’

नेवी चीफ ने हालांकि कहा कि गश्ती जहाजों के लिए 2500 करोड़ रुपये से ज्यादा का कॉन्ट्रैक्ट रद्द नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘इस कॉन्ट्रैक्ट पर विचार किया जा रहा है।’ यह कॉन्ट्रैक्ट 2011 में दिया गया था। यह अपने तय कार्यक्रम से चार साल पीछे चल रहा है। जुलाई 2017 में RNEL ने गुजरात में पिपावाव के अपने शिपयार्ड में दो गश्ती जहाज बनाने शुरू किए थे। अभी ये दो जहाज पी-21 प्रोजेक्ट के तहत पांच जहाजों में शामिल हैं, जिन्हें नेवी के लिए RNEL बना रही है।

सूत्रों ने ईटी को बताया कि इस साल 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की बैंक गारंटी भुनाई गई है। लांबा ने कहा कि यह कंपनी अभी कानूनी मुश्किलों का सामना कर रही है। उन्होंने कहा, ‘RNEL कॉरपोरेट डेट रिस्ट्रक्चरिंग से गुजर रही है। उसके बैंकर आईडीबीआई ने उसके खिलाफ अदालत में शिकायत की है।’

सूत्रों ने बताया कि RNEL ने नेवी को लेटर लिखकर वादा किया है कि अगले साल के मध्य तक वह पहला जहाज उसे दे देगी। इस हालत के बावजूद 20000 करोड़ रुपये के लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक्स प्रोजेक्ट के लिए RNEL पर विचार किए जाने के बारे में पूछे जाने पर नेवी चीफ ने कहा कि यह मामला अभी लंबित है। इस प्रोजेक्ट के लिए कमर्शियल प्रपोजल्स अभी नहीं खोले गए हैं। RNEL ने नेवी चीफ के कमेंट्स पर कोई आधिकारिक जवाब नहीं दिया।

नेवी चीफ ने हालांकि कहा कि जहाज बनाने की प्राइवेट सेक्टर की क्षमता का उपयोग किया जाएगा और ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत इसे बढ़ाया जलाएगा। उन्होंने बताया कि नेवी के आधुनिकीकरण का दो तिहाई बजट पिछले चार वित्त वर्षों में स्वदेशी खरीद पर खर्च किया गया है।

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