मदर ग्रुप एवम् मिड डे मील की महिला कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगो को लेकर किया धरना प्रदर्शन|

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फरीदाबाद | मदर ग्रुप एवम् मिड डे मील की महिला कार्यकर्ताओं ने प्रोग्राम अधिकारी सेक्टर 16 स्थित कार्यालय के सामने बकाया वेतन की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। प्रोग्राम अधिकारी की कार्यप्रणाली से नाराज मदर ग्रुप और मिड डे मील वर्करों ने जमकर नारेबाजी की। आंदोलनरत कार्यकर्ताओं को सीटू के ज़िला सचिव लाल बाबू शर्मा,कर्मचारी नेता धर्मवीर वैष्णो ने संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने बताया की मदर ग्रुप और स्वयं सहायता समूह की वर्कर पिछले 21 महीने से वेतन के लिए तरस रही है।इन वर्करों से आंगनबाड़ी सेंटरों में बच्चों के लिए दिन का खाना बनाने का काम लिया गया था। लेकिन वेतन देने के नाम पर सीडीपीओ और प्रोग्राम अधिकारी बजट नहीं होने का बहाना बनाती रहती हैं। जबकि बिगत 12 मार्च को भी इन मांगो को लेकर विरोध प्रदर्शन किया गया था।तब जिला कार्यक्रम अधिकारी ने 24 मार्च तक का समय दिया था। लेकिन कोरोना महामारी की वजह से अचानक संपूर्ण तालाबंदी लागू हो गई। परिणाम स्वरूप वर्करों को मानदेय का भुगतान नहीं किया गया। जबकि सरकार ने लॉक डॉन अवधि के समय का मानदेय का भुगतान करने का परिपत्र भी जारी किया था। सरकार के आदेशों को प्रोग्राम अधिकारी ने लागू नहीं किया। जिसकी वजह से मजदूर भुखमरी के कगार पर आ गया। काम धंधे बंद हो गए,इसकी वजह से मदर ग्रुप और मिड डे मील वर्करों को अपने परिवारों का खर्चा चलाने में बहुत परेशानियां झेलनी पढ़ रही है। एक तरफ विभाग के कर्मचारी और अधिकारियों को लॉक डाउन की अवधि का वेतन मिलता रहा है। दूसरी तरफ मेहनतकश वर्ग को मानदेय से जान बूझ कर वंचित रखा गया। ऐसे हालात करने के लिए विभाग के अधिकारी पूर्ण रूप से जिम्मेवार हैं हमेशा मजदूर के वेतन का भुगतान करने के लिए टालमटोल की नीति अपनाई जाती है विभाग के अधिकारी वर्करों के साथ भेदभाव करते है। एक तरफ रेगुलर कर्मचारियों को महीने की पहली तारीख को तनखा मिलती हैं। दूसरी तरफ आगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के लिए खाना बनाने का काम करने वाली इन महिलाओं को वेतन के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती हैं। यह जानकारी मदर ग्रुप की प्रधान निजरवी ने दी। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि मदर ग्रुप और मिड डे मील वर्कर की मांगो को लागू नहीं किया गया। तो यूनियन प्रोग्राम अधिकारी के कार्यालय पर बेमियादी आंदोलन आरंभ कर देगी। उन्होंने बताया कि प्रोग्राम अधिकारी के अनुसार वर्केरो को अपने घर से एडवांस में ईंधन, दलाई, पिसाई आदि पर पैसा खर्च करना पड़ता है। जबकि यह जिम्मेवारी प्रोग्राम अधिकारी और सीडीपीओ , सुपरवाइजर और आगनबाड़ी वर्कर की है। एक तरफ सरकार मदर ग्रुप की महिलाओं को पक्का रोजगार नहीं दे रही है। दूसरी तरफ इनको काम करने के बदले में उचित मानदेय भी समय पर नहीं मिलता है। इन वर्करों में भारी नाराजगी व्याप्त है। क्योंकि इन महिला वर्करों से बायोमेट्रिक मशीन में दो बार दिन में भी हाजिरी लगवाई जाती है। लेकिन दिन भर काम करने के बाद भी वेतन नहीं मिलता है। स्कूल के अध्यापक भी इनका शोषण करते हैं। इसके साथ साथ आंगनबाड़ी केंद्रों की इंचार्ज सीडीपीओ और प्रोग्राम अधिकारी भी इनके प्रति नकारात्मक रवैया ही अपनाती हैं। धर्मवीर वैष्णो ने चेतावनी दी है कि यदि आंगनवाड़ी मैं काम करने वाली इन मदर ग्रुप और मिड डे मील की वर्करों की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो बेमियादी आंदोलन शुरू कर दिया जायगा। प्रधान सुदेश ने बताया की डायरेक्टर ने प्रत्येक महीने की 10 तारीख से पहले मदर ग्रुप की महिलाओं के खाते में मानदेय जमा करने का पत्र भेज रखा है। लेकिन विभाग की सीडीपीओ और प्रोग्राम अधिकारी सरकारी पत्रों की धज्जियां उड़ा रही हैं इनकी पत्रों की परिपालना नहीं होती है।धरने की अध्यक्षता जिला प्रधान सुदेश और संचालन निज रवि ने किया।

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