सिर में बिना किसी दर्द के भी हो सकता है माइग्रेन

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माइग्रेन का मतलब तेज सिरदर्द मानते हैं। सिर में बिना किसी दर्द के भी माइग्रेन हो सकता है। बिना दर्द वाले इस माइग्रेन को ऑक्युलर माइग्रेन या साइलेंट माइग्रेन कहते हैं जिसमें माइग्रेन का सबसे ज्यादा असर सिर पर नहीं बल्कि आपकी आंखों पर पड़ता है। अगर इस तरह का माइग्रेन बढ़ जाए तो आपकी आंखों की रोशनी जा सकती है और आप अंधेपन का शिकार हो सकते हैं।

महिलाओं में ज्यादा दिक्कत
यह माइग्रेन महिलाओं में ज्यादा पाया जाता है। इस तरह के माइग्रेन होने की वजह काफी हद तक लाइफस्टाइल भी है। मसलन मोनोसोडियम ग्लूटामेट यानी MSG वाले फूड्स का ज्यादा सेवन, तेज रोशनी में काम करना, तनाव के कारण और मौसम में अचानक बदलाव के कारण ऑक्युलर माइग्रेन हो सकता है। ऑक्युलर माईग्रेन हाई बीपी, टेंशन, स्मोकिंग करना, नींद सही तरह से न ले पाने की वजह से भी होता है। महिलाओं में यह 40 साल से कम उम्र के लोगों में या फिर उन लोगों में ज्यादा होता है, जिनके परिवारों में इसका कोई इतिहास रहा हो। डॉक्टर्स की मानें तो इसकी वजह रेटिना की रक्तवाहिनियों में ऐंठन और रेटिना की नसों की कोशिकाओं में होने वाला परिवर्तन माना जाता है।

जब करता है अटैक
जब यह सिर पर अटैक करता है तो आपको हाथों या चेहरे का सुन्न पड़ना या झनझनाना, दिमाग में उथल-पुथल या बेचैनी महसूस होना, स्वाद व गंध को सही न पहचानना, उल्टी या मिचली महसूस होना, घूमने में परेशानी होना, बोलने या समझने में परेशानी होना जैसी प्रॉब्लम्स का सामना करना पड़ता है।

ऑक्युलर माइग्रेन का इलाज
ऑक्युलर माइग्रेन से पीड़ित लोगों के लिए खुद का ख्याल रखना सबसे बड़ा इलाज है। आप अपने लिए ऑक्युलर माइग्रेन को बढ़ाने वाली चीजों का रिकॉर्ड एक डायरी में रख सकते हैं। इन चीजों में खाना, दवाई, मौसम की स्थिति या रोशनी हैं, जिनसे ऑक्युलर माइग्रेन बढ़ता है। ऐसे मरीजों के लिए अनुशंसित दवाई के अलावा एक्युपंक्चर और एक्युप्रेशर और आईस बैग्स भी फायदेमंद होते हैं। कुछ लोगों में जीवनशैली में परिवर्तन करके माइग्रेन को कम करने में मदद मिलती है। उदाहरण के लिए, कुछ लोगों में यह स्थिति ऐल्कॉहॉल या कैफीन लेने से बढ़ जाती है तो अगर आप ऐल्कॉहॉल या कैफीन लेना बंद करें तो माइग्रेन की स्थिति ठीक हो सकती है।

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