नई दिल्ली देश के कई शहर कंक्रीट के जंगल में तब्दील होते जा रहे हैं। इंडियन साइंस इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं के मुताबिक, पिछले 20 सालों में कई बड़े शहरों में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हुई है। जंगल में पेड़ों की कटाई को लेकर उठे विवाद ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि अनियोजित विकास की दौड़ में हरियाली की बलि दी जा रही है। इसकी वजह से इन शहरों में हरियाली नाममात्र ही रह गई है। इस अध्ययन में चार भारतीय शहरों में शहरीकरण की दर देखने के लिए उपग्रह जनित सेंसर का इस्तेमाल किया गया है।
20 वर्षों में अहमदाबाद का पेड़ों से ढका रकबा 46 फीसद से गिरकर 24 फीसद हो गया। शहरी निर्मित क्षेत्र में 1990 और 2010 के बीच 132 फीसद की वृद्धि हुई। वहीं भूमि का निर्माण 1990 में 7.03 फीसद; 2010 में 16.34 फीसद किया गया, जो 2024 तक बढ़कर 38.3 फीसद होने का अनुमान है। वर्ष 2030 तक अहमदाबाद क्षेत्र का पेड़ों से ढका रकबा 3 फीसद हो जाएगा।
मौजूदा तारीख में, अन्य शहरों की तुलना में भोपाल की स्थिति बेहतर है। 20 वर्षों में भोपाल का पेड़ों से ढका रकबा 66 फीसद से गिरकर 22 फीसद हो गया। 1992 में, शहर का 66 फीसद भाग में वनस्पति से ढका था, जो अब 21 फीसद गिर गया है।
बंगाल की राजधानी कोलकाता की जनसंख्या 1.40 करोड़ है। यह भारत का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। 20 वर्षों में कोलकाता का पेड़ों से ढका रकबा 23.4 फीसद से गिरकर 7.3 फीसद हो गया। शहरी निर्मित क्षेत्र में 1990 और 2010 के बीच 190 फीसद की वृद्धि हुई। वहीं भूमि का निर्माण 1990 में 2.2 फीसद; 2010 में 8.6 फीसद किया गया, जो 2030 तक बढ़कर 51.27 फीसद होने का अनुमान है। वर्ष 2030 तक कोलकाता क्षेत्र का पेड़ों से ढका रकबा 3.37 फीसद हो जाएगा।
20 वर्षों में हैदराबाद का पेड़ों से ढका रकबा 2.71 फीसद से गिरकर 1.66 फीसद हो गया। शहरी निर्मित क्षेत्र में 1999 और 2009 के बीच 400 फीसद की वृद्धि हुई। वहीं भूमि का निर्माण 1999 में 2.55 फीसद; 2009 में 13.55 फीसद किया गया, जो 2030 तक बढ़कर 51.27 फीसद होने का अनुमान है। वर्ष 2024 तक हैदराबाद क्षेत्र का पेड़ों से ढका रकबा 1.84 फीसद हो जाएगा।