महारानी वैष्णोदेवी मंदिर में नवरात्रों पर हुई मां सिद्धदात्री की भव्य पूजा

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फरीदाबाद। सिद्धपीठ महारानी वैष्णोदेवी मंदिर में नौंवे दिन मां सिद्धदात्री की भव्य पूजा अर्चना की गई। इस अवसर पर भक्तों ने मंदिर में पहुंचकर मां की अरदास की और अपनी मुरादें मांगी। श्रद्धालुओं ने मां सिद्धदात्री के चरणों में शीश झुकाते हुए उनकी पवित्र ज्योत के दर्शन किए। इस अवसर पर मंदिर के प्रधान जगदीश भाटिया ने आए हुए भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण करवाया। इस अवसर पर प्रधान जगदीश भाटिया ने कहा कि नवरात्रों के शुभ अवसर पर मंदिर में आज भी कंजक पूजन करवाया गया। उन्होंने मां सिद्धदात्री की महिमा का बखान करते हुए कहा कि नवरात्रि के नौवें और अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. इस दिन को महानवमी भी कहते हैं. मान्‍यता है कि मां दुर्गा का यह स्‍वरूप सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाला है. कहते हैं कि सिद्धिदात्री की आराधना करने से सभी प्रकार के ज्ञान आसानी से मिल जाते हैं. साथ ही उनकी उपासना करने वालों को कभी कोई कष्ट नहीं होता है. नवमी के दिन कन्‍या पूजन को कल्‍याणकारी और मंगलकारी माना गया है. इस बार नवमी 7 अक्‍टूबर को है जबकि उसके अगले दिन यानी कि 8 अक्‍टूबर को बुराई पर अच्‍छाई का पर्व विजयदशी या दशहरा मनाया जाएगा.
पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार भगवान शिव ने सिद्धिदात्री की कृपा से ही अनेकों सिद्धियां प्राप्त की थीं. मां की कृपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ था. इसी कारण शिव ‘अर्द्धनारीश्वर’ नाम से प्रसिद्ध हुए. मार्कण्‍डेय पुराण के अनुसार अणिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व और वाशित्व ये आठ सिद्धियां हैं. मान्‍यता है क‍ि अगर भक्त सच्‍चे मन से मां सिद्धिदात्री की पूजा करें तो ये सभी सिद्धियां मिल सकती हैं.
मां सिद्धिदात्री का स्वरूप बहुत सौम्य और आकर्षक है. उनकी चार भुजाएं हैं. मां ने अपने एक हाथ में चक्र, एक हाथ में गदा, एक हाथ में कमल का फूल और एक हाथ में शंख धारण किया हुआ है. देवी सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है.मां सिद्धिदात्री का पसंदीदा रंग और भोग मान्‍यता है कि मां सिद्धिदात्री को लाल और पीला रंग पसंद है. उनका मनपसंद भोग नारियल, खीर, नैवेद्य और पंचामृत हैं.

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