नई दिल्ली। सरकार ने इंजीनियरिंग वस्तुओं के निर्यातकों के लिये प्रतिस्पर्धी कीमतों पर इस्पात की उपलब्धता पर गौर करने को लेकर विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) की अगुवाई में एक समिति गठित करने का निर्णय किया है। अधिकारी ने कहा, ‘‘समिति दो महीने के भीतर इस्पात और वाणिज्य मंत्रालयों को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। समिति उपायों का सुझाव देगी जो इस्पात उत्पादकों तथा इंजीनियरिंग निर्यातकों दोनों के लिये लाभदायक होगा।’’
इंजीनियरिंग वस्तुओं का निर्यात करने वाले यह मांग कर रहे हैं उन्हें इस्पात वैश्विक कीमतों पर मिलनी चाहिए क्योंकि घरेलू दर ऊंची है। हालांकि इस्पात उत्पादकों ने कहा कि देश में माल ढुलाई दर और उत्पादन लागत अधिक है। इससे कीमतें बढ़ती हैं।’’ समिति गठित करने का निर्णय पिछले सप्ताह इस्पात और वाणिज्य मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों की हुई बैठक में किया गया। इसमें में इंजीनियरिंग क्षेत्र के भी प्रतिनिधि होंगे। बैठक में इंजीनियरिंग कंपनियों ने कहा कि इस्पात प्रतिस्पर्धी दरों पर उपलब्ध होना चाहिए ताकि निर्यात को आगे गति दी जा सके।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि अगर इस्पात की कीमतें अधिक बनी रहती हैं तब कैसे इंजीनियरिंग निर्यात में अच्छी वृद्धि होगी? देश का इंजीनियरिंग निर्यात 2018-19 में 6.36 प्रतिशत बढ़कर 83.7 अरब डालर रहा जो 2017-18 में 78.7 अरब डालर था। देश के कुल वस्तु निर्यात में इसकी हिस्सेदारी 25 प्रतिशत है। पिछले वित वर्ष में कुल वस्तु निर्यात 331 अरब डालर का था। इंजीनियरिंग वस्तुओं में परिवहन उपकरण, पूंजीगत सामान, अन्य मशीनरी/उपकरण और हल्के इंजीनियरिंग उत्पाद शामिल हैं।