कर्नाटक विधानसभा में गुरुवार को विश्वास प्रस्ताव पर होगी चर्चा

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बेंगलुरु: कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी सरकार के भविष्य के लिए गुरुवार का दिन अहम साबित होने वाला है। विधानसभा में 18 जुलाई को विश्वासमत पर चर्चा है। इस बीच बुधवार को सुप्रीम कोर्ट का आदेश सामने आने के बाद सदन में बहुमत परीक्षण से पहले सियासी गुणा-भाग का खेल शुरू हो गया है। सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि 15 बागी विधायकों को सदन की कार्यवाही में शामिल होने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। इसका मतलब साफ है कि विधायक बहुमत परीक्षण में हिस्सा लेने या न लेने के लिए स्वतंत्र हैं। आइए जानते हैं कि कर्नाटक में क्या सियासी संभावनाएं बन सकती हैं सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा है कि स्पीकर केआर रमेश कुमार बागी विधायकों के इस्तीफे पर फैसला करें। ऐसे में पहली संभावना यह बनती है कि स्पीकर रमेश कुमार 15 बागी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लें। वहीं, एक कांग्रेस विधायक रोशन बेग अभी निलंबित चल रहे हैं और उनका भी इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ है। इस सूरत में अगर बहुमत परीक्षण होता है तो सदन की कुल सदस्य संख्या 224 से घटकर 208 पहुंच जाएगी। बहुमत हासिल करने के लिए 105 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी लेकिन कुमारस्वामी सरकार के पास 101 विधायकों (स्पीकर और 1 बीएसपी विधायक समेत) का ही समर्थन बचेगा। इस्तीफा मंजूर होने पर कांग्रेस विधायकों की संख्या 79 से घटकर 66 और जेडीएस विधायकों की 37 से घटकर 34 हो जाएगी। ऐसे में बीजेपी को फायदा हो सकता है, जिसके पास 105 विधायकों के साथ ही दो निर्दलीय विधायकों (एच नागेश और आर शंकर) का भी समर्थन है।एक दूसरी तस्वीर यह है कि स्पीकर केआर रमेश कुमार बागी विधायकों का इस्तीफा मंजूर न करें। ऐसी सूरत में वे सदन की कार्यवाही में हिस्सा ले सकते हैं। अगर 15 बागियों में से कम से कम 6 विधायक विश्वासमत में शामिल होते हैं, साथ ही पाला बदलते हुए कुमारस्वामी सरकार के समर्थन में वोट देते हैं तो कांग्रेस-जेडीएस सरकार बच सकती है।अगर स्पीकर सभी 15 बागी विधायकों को अयोग्य ठहरा देते हैं तो सदन में संख्याबल घट जाएगा। ऐसे में 209 विधायकों के पास ही बहुमत परीक्षण में हिस्सा लेने का अधिकार होगा और बहुमत का गणित भी घटकर 105 पहुंच जाएगा। इस स्थिति में सरकार बचाने के लिए जेडीएस-कांग्रेस को बीजेपी के खेमे में सेंध लगानी पड़ेगी। वहीं, दो निर्दलीयों का रुख भी काफी अहम रहेगा। फिलहाल निर्दलीय बीजेपी के साथ दिखाई पड़ रहे हैं लेकिन बहुमत परीक्षण के वक्त पाला बदलने का पुराना इतिहास रहा है। ऐसे में तस्वीर पलट भी सकती है।

एक दूसरे परिदृश्य पर भी नजर डालते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में कहा है कि बागी 15 विधायकों पर पार्टी का विप लागू नहीं होगा। यानी बागी विधायक विधानसभा में आने के लिए स्वतंत्र हैं। फिलहाल विधायक मुंबई के होटल में रुके हुए हैं और इस बात की भी संभावना है कि गुरुवार को विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा और वोटिंग के दौरान वह गैरहाजिर रहें। ऐसे में बीजेपी को लाभ मिल सकता है। अदालत ने कहा है कि कार्यवाही में शामिल होने या न होने का फैसला विधायकों के विवेक पर छोड़ा जाता है।

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