ATM से ज्यादा रिटेल स्टोर्स पर इस्तेमाल हो रहे डेबिट कार्ड्स

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नई दिल्ली: डेबिट कार्ड का इस्तेमाल लोग अब सिर्फ एटीएम से पैसे निकालने के लिए ही नहीं बल्कि किराना स्टोर्स और लोकल रिटेल आउटलेट पर जमकर कर रहे हैं। बैंक ग्राहक किराना दुकानों और रिटेल स्टोर्स पर स्वाइप मशीन पर डेबिट कार्ड के जरिए पेमेंट्स करने में ज्यादा सुविधाजनक महसूस कर रहे हैं। RBI के लेटेस्ट डेटा से पता चलता है कि डीमोनेटाइजेशन के बाद से पहली बार अप्रैल में हुए कुल डेबिट कार्ड ट्रांजैक्शंस में एक तिहाई पॉइंट ऑफ सेल (PoS) टर्मिनल के जरिए किए गए थे।अप्रैल में डेबिट कार्ड के जरिए कुल 66 प्रतिशत ट्रांजैक्शन एटीएम पर हुए जिसके तहत 80 करोड़ विदड्रॉल के साथ 2.84 लाख करोड़ रुपये निकाले गए। वहीं इस अवधि के दौरान PoS मशीनों के जरिए 34 प्रतिशत ट्रांजैक्शन हुए। इससे पहले दिसंबर 2016 में डीमोनेटाइजेंश के एक महीने बाद एटीएम ट्रांजैक्शन की संख्या दो-तिहाई से कम हुई थी। उस दौरान एटीएम ट्रांजैक्शन 60.3 प्रतिशत जबकि PoS ट्रांजैक्शन 39.7 प्रतिशत हुए थे। इसकी वजह देश में नकदी की कमी थी।

आरबीआई के डेटा से पता चलता है कि इस साल मार्च में एटीएम ट्रांजैक्शन शेयर 68.6 प्रतिशत जबकि PoS शेयर 31.4 प्रतिशत था वहीं जनवरी में डेबिट कार्ड ट्रांजैक्शन शेयर 70 प्रतिशत से ज्यादा रहा था।

मई, 2019 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा पब्लिश किए गए अपने पेमेंट्स विजन डॉक्युमेंट में 2021 तक PoS आधारित डेबिट कार्ड ट्रांजैक्शन शेयर को 44 प्रतिशत तक करने का लक्ष्य रखा है। इसका उद्देश्य केंद्र सरकार का कैशलैस डिजिटल इकनॉमी को बढ़ावा देना है। पब्लिक सेक्टर और प्राइवेट सेक्टर में बैंकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। देशभर के छोटे स्टोर्स में तेजी से स्वाइप मशीनें लगाई जा रही हैं। बैंकर्स का कहना है कि कार्डबेस्ड डिजिटल ट्रांजैक्शन में यहीं से सबसे ज्यादा बढ़ोतरी मिलेगी।

2016 से अप्रैल 2019 तक PoS मशीन लगने में सालाना करीब 39 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और अब तक 37.5 लाख टर्मिनल बन चुके हैं। इस अवधि के दौरान बैंकों ने 2 लाख एटीएम मशीनों के बेड़े में सिर्फ 7,000 एटीएम ही नए जोड़े। एक्सपर्ट्स का कहना है कि एटीएम की बढ़ोतरी में इसलिए भी रुकावट हुई क्योंकि इन्हें लगाने और मेन्टेंन करने में बहुत ज्यादा खर्च होता है।

भारत की एटीएम इंडस्ट्री बॉडी CATMi की सदस्य और FIS में मैनेजिंग डायरेक्टर एटीएम बिजनस के राधा रमा दोरई कहती हैं, ‘हमने पिछले कुछ सालों के दौरान एटीएम में बढ़ोतरी देखी है। हालांकि, देश में अधिकतर लोगों की नकदी की जरूरत के लिए एटीएम मुख्य इन्फ्रास्ट्रक्चर रहे हैं…लो इंटरचेंज फी, हाई मेन्टेनंस कॉस्ट और हाई सिक्यॉरिटी जैसी शर्तों ने बैंकों को खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में एटीएम लगाने से रोक दिया है।’

आरबीआई के बेंचमार्किंग पेमेंट्स रिपोर्ट के मुताबिक, किसी भी बड़ी इकनॉमी के लिहाज से देखें तो देश में एटीएम की पहुंच बहुत खराब है। चीन, यूएस, जर्मनी, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में 2 हजार की आबादी पर एक एटीएम है जबकि भारत में 2017 में 5,919 जनसंख्या पर एक एटीएम था।

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