आने वाले वक्त में मलेरिया और डेंगू जैसी घातक बीमारियों पर लगाम लग सकती है। मच्छरों से पैदा होने वाली इन बीमारियों से हर साल हजारों लोगों की मौत हो जाती है। ऐसे में अमेरिकी वैज्ञानिक एक ऐसा ड्रग बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं जिससे मच्छरों के जन्म पर नियंत्रण रखा जा सकेगा।
यूनिवर्सिटी ऑफ अरिजोना के शोधकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने मादा मच्छरों के लिए एक ऐसा प्रोटीन खोजा है जो उनके बच्चों के सेने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। जब वैज्ञानिकों ने इस प्रोटीन को ब्लॉक कर दिया तो मादा मच्छरों ने डिफेक्टिव शेल्स वाले अंडे दिए, जिनकी वजह से भ्रूण अंदर ही मर गए। शोधकर्ताओं की टीम ने कहा कि अगर ऐसा ड्रग या दवाई विकसित की जाए जो इस प्रोटीन पर टार्गेटेड हो, उससे मधुमक्खियों जैसे लाभकारी कीड़ों को नुकसान पहुंचाए बिना मच्छरों की आबादी को कम करने का एक तरीका मिल सकता है।
बायॉकेमिस्ट्री डिपार्टमेंट के चीफ रोजर मीसफेल्ड ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण खोज है। इससे न सिर्फ मच्छरों की जनसंख्या पर नियंत्रण पाया जा सकता है बल्कि यह अन्य तरीकों की तुलना में कहीं ज़्यादा सुरक्षित है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, मच्छर दुनिया के सबसे घातक जानवरों में से एक हैं।
संगठन ने चेतावनी दी है कि मलेरिया के खिलाफ वैश्विक प्रगति रुक रही है। 2016 में लगभग 216 मिलियन लोग इस बीमारी से संक्रमित हुए, जिनमें से 4 लाख 45 हजार लोगों की मौत हो गई। इन लोगों में मुख्य रूप से शिशु और छोटे बच्चे शामिल थे। मीसफेल्ड ने कहा कि मच्छरों को नियंत्रित करने के लिए जिन मौजूदा तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है, वह बेहद पुराने हैं। इतने लंबे समय से इस्तेमाल किए जाने की वजह से मच्छर प्रतिरोधी बनते जा रहे थे। उन्होंने कहा कि शोध टीम यह जानकर हैरान थी कि जिन मादा मच्छरों पर ट्रीटमेंट किया गया, वे अपने बाकी जीवनकाल के दौरान रिप्रड्यूस नहीं कर सकती थीं। उन्होंने आगे उम्मीद जताई कि इस नई खोज की वजह से आने वाले पांच सालों में कीटनाशकों की एक नई खेप तैयार की जा सकेगी।