एडीआर सेंटर पलवल में मनाया गया संविधान दिवस

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पलवल। हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण पंचकूला के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं चेयरमैन चंद्रशेखर व मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एंव सचिव पीयूष शर्मा के मार्गदर्शन में वीरवार को एडीआर सेंटर में संविधान दिवस मनाया गया। इस अवसर पर उपस्थित सभी न्यायिक अधिकारियों एवं पैनल अधिवक्ताओं ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश चन्द्रशेखर के साथ संविधान की प्रस्तावना का उच्चारण किया।
इस अवसर पर अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश एस.के. खंडूजा ने बाबा साहब अंबेडकर के जीवन के बारे मे विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बाबा साहब ने अपने जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना किया और सामाजिक कुरीतियां दूर की। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से जिला एवं सत्र न्यायाधीश चन्द्रशेखर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे तथा उनके साथ अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश एस.के. खंडूजा, अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश स्पेशल कोर्ट महेश कुमार, फैमिली कोर्ट प्रिंसिपल जज सुनीता ग्रोवर, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट राजेश यादव, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव पीयूष शर्मा, न्यायिक मजिस्ट्रेट गोरांग शर्मा, न्यायिक मजिस्ट्रेट रितु यादव, न्यायिक मजिस्ट्रेट गुलशन वर्मा सहित पैनल अधिवक्ता उपस्थित रहे।
इसी कड़ी में संविधान दिवस के उपलक्ष्य में ऑनलाइन शिविर का भी आयोजन पैनल अधिवक्ता नवीन रावत द्वारा किया गया। उन्होंने ऑनलाइन संविधान की प्रस्तावना का उच्चारण सभी के साथ मिलकर किया और बताया कि यदि प्रत्येक व्यक्ति केवल अपने अधिकारों का ही ध्यान रखे और दूसरों के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन न करे तो शीघ्र ही किसी के लिए भी अधिकार नहीं रहेंगे। किसी भी समाज का मूल्यांकन करते हुए, केवल अधिकारों पर ही ध्यान नहीं दिया जाता है, वरन् यह भी देखा जाता है कि नागरिक अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं या नहीं। राष्ट्र के बेहतर निर्माण, तरक्की व समाज की सुदृढ़ और स्वच्छ आधारशिला की नींव को रखने में मौलिक कर्तव्य सहायक होते हैं। हर नागरिक बेहतर राष्ट्र निर्माण के लिए संप्रभुता तथा अखंडता की रक्षा, देश की प्रगति और राष्ट्रीय सेवा में सहयोग, प्राकृतिक तथा सार्वजनिक संपत्ति का संरक्षण, लोकतंत्र को सफल बनाने में सहायता, संस्कृति की रक्षा और संरक्षण, स्त्रियों का सम्मान, विश्व बंधुत्व की भावना का विकास जैसे विशेष कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। भारत के मूल संविधान में केवल मौलिक अधिकारों को ही शामिल किया गया था, जबकि मौलिक कर्तव्य प्रारंभ में संविधान में उल्लेखित नहीं थे। ऐसी आशा की जाती थी कि भारत के नागरिक स्वतंत्र भारत में अपने कर्तव्यों की पूर्ति स्वेच्छा से करेंगे, किन्तु 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा भाग 4 क, और अनुच्छेद 51क, जोड़ा गया, जिसमें दस मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख किया गया। मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख संविधान में समावेश करने के लिए सरदार स्वर्ण सिंह की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया। मूल कर्तव्य मुख्यत: पूर्व सोवियत संघ के संविधान से प्रेरित थे। वर्ष 2002 में 86वें संविधान संशोधन के बाद मूल कर्तव्यों की संख्या 11 हो गई है। जो आज हमारे देश में कोविड-19 कोरोना महामारी के संक्रमण की रोकथाम हेतु सरकार ने कुछ नियम बनाए हुए हैं, जिनका पालन करना हर नागरिक की मौलिक जिम्मेदारी है। हमारे संविधान के अंतर्गत हमें भाईचारा कायम रखते हुए, सभी लोगों को इस महामारी से बचाव के उपायों के बारे में जागरूक करना चाहिए। हमें बार-बार साबुन या सेनिटाइजर से हाथ साफ करने, घर से बाहर निकलते ही फेस मास्क का प्रयोग, सामाजिक दूरी और बाहर से आने वाले या किसी संक्रमित व्यक्ति की जानकारी प्रशासन को देने जैसे विभिन्न कर्तव्यों का पालन करना चाहिए, ताकि हम कोरोना से अपने देश की जनता को सुरक्षित कर सकें। हमें निस्वार्थ भाव से राष्ट्रीय सेवा के मौलिक कर्तव्य के निर्वहन के लिए आगे आना चाहिए और धैर्य का परिचय देना चाहिए। इसके अलावा हमें गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले लोगों, वरिष्ठ नागरिकों, बच्चों व गर्भवती महिलाओं का विशेष ख्याल करना होगा। सरकारी वित्तीय सहायता या राशन वितरण के बारे में जागरूक होकर, लोगों की सुविधाओं का ध्यान रखना होगा। यदि हमारे आस-पास कहीं भी कोई भूखा दिखाई दे या किसी को उचित राशन वितरण नहीं मिल रहा या किसी जरूरतमंद को वित्तीय सहायता का लाभ नहीं मिल रहा है अथवा जन उपयोगी सुविधाओं से संबंधित कोई भी समस्या हो रही हो तो जिला उपायुक्त कार्यालय की हेल्पलाइन या प्राधिकरण की हेल्पलाइन नंबर 01275-298003 पर संपर्क करके मुफ्त सलाह प्राप्त कर सकते हैं।

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