जिला बाल कल्याण परिषद की ओर से किया गया बाल दिवस का आयोजन

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पलवल, 14 नवंबर।जिला बाल कल्याण परिषद की ओर से गुरूवार को स्थानीय महात्मा गांधी सामुदायिक केंद्र एवं पंचायत भवन में जिला स्तरीय बाल दिवस समारोह एवं पुरस्कार वितरण समारोह की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि जीवन में बच्चे इस प्रकार की प्रतियोगिताओं में आगे बढकर भाग लें। कार्यक्रम मेेंं मुख्य अतिथि अतिरिक्त उपायुक्त आर. के. सिंह, जिला बाल कल्याण अधिकारी श्रीमती सुरेखा डागर सहित अनके गणमान्य लोग एवं विद्यार्थी उपस्थित थे। इस अवसर पर सिविल सर्जन डा. प्रदीप शर्मा ने कहा कि फरवरी 2013 से भारत सरकार ने राष्टï्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत राष्टï्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम लागू किया है। इसके अतर्गत सरकार ने जन्म से लेकर 18 साल तक सभी बच्चों के स्वास्थ्य की जांच और उसका ईलाज व जांच कराने का संकल्प लिया है। कोई भी किसी भी तरह की बीमारी चाहे वह जन्मजात है या बाद में हुई है। उनका मुफ्त ईलाज किया जाता है चाहे वे बीमारी कितनी महंगी ही क्यों ना हो।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने एक आरबीएसके प्रोग्राम लांच किया है, जिसके अंतर्गत जिला पलवल में 9 टीमें हैं, जिसमें एक महिला डॉक्टर, एक पुरूष डॉक्टर सहित एक स्टॉफ नर्स व एक औषधाकारक शामिल हैं। यह टीमें हर आंगनवाड़ी केंद्र या स्कूल में जाकर बच्चों की जांच करती हैं और अगर उनमें कोई भी विकार हो उसका मुफ्त ईलाज करती हैं। उन्होंने बताया कि 100 में से 06 से 07 प्रतिशत तक बच्चों को जन्म के समय से ही कोई न कोई कमी होती है और लगभग 10 प्रतिशत बच्चे जन्म लेते ही मृत्यु का शिकार हो जाते हैं। लगभग 70 प्रतिशत बच्चे कुछ न कुछ कमी के शिकार हो जाते हैं।
उन्होंने कहा कि आरबीएसके कार्यक्रम में फोर-डी का ध्यान रखा है। डिफेक्ट ऐट बर्थ, डिफिसेंसीज, डिजीज कोई बिमारी हो, डिलेट माइल स्टोन अगर बच्चा किसी भी तरीके से ठीक ढंग से नहीं पनप रहा है तो हम इन चारो डी का आरबीएसके प्रोग्राम में विशेषकर ध्यान रखते हैं। जन्म के समय ही बच्चे की जांच सुनिश्चित की जाती है। चाहे वे सरकारी अस्पताल में हो या गैर सरकारी अस्पताल में हो। पहले छ: महीने तक स्वास्थ्य विभाग की आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर प्रत्येक बच्चे की जांच करती हैं।
उन्होंने कहा कि छ: महीने का होते ही बच्चा आंगनवाड़ी के अंतर्गत आ जाता है और छ: साल तक आंगनवाडी में रहता है। इस प्रकार स्वास्थ्य विभाग की आरबीएसके टीम जाकर हर बच्चे की जांच सुनिश्चित करती है। छ: साल के बाद जब वह बच्चा स्कूल में आ जाता है तो आरबीएसके टीम हर स्कूल में जाकर हरेक बच्चे की जांच करती है।
पिछले तीन वर्षों में आरबीएसके प्रोग्राम के तहत लगभग 70 कंज्नाईटल हार्ट डिजिज जो जन्मजात से ही बच्चे के दिल में छेद था उनका भी हमने मुफ्त ईलाज करवाया है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से आरबीएसके कार्यक्रम के तहत उन बच्चों की मुफ्त सर्जरी करवाई है। लगभग 65 बच्चों का ऑपरेशन मुफ्त कराया है ताकि उन्हें खाने पीने व बोलने में कोई भी परेशानी न हो। इसी तरह चार बच्चें जन्मजात से बहरे व गूंगे थे जिनका कोकिलर इम्प्लांट कराया है, जिसमें एक ऑपरेशन में लगभग पांच लाख रुपये का खर्चा आता है। सरकार ने यह ईलाज मुफ्त कराया है। इन बच्चों के परिवारों को एक पैसा खर्च नहीं करना पड़ा। इस प्रकार के सौ में से छह बच्चों में जन्म के समय से कोई न कोई विकलांगता होती है। उसी तरह पलवल जिला में लगभग 30 हजार बच्चे हर वर्ष पैदा होते है। इस हिसाब से बहुत बडी संख्या में ऐसे बच्चे पैदा होते है जो जन्म के समय से कुछ न कुछ विकलांग होते है। कुछ बीमारियां जन्म के बाद में पैदा होती है जैसे रैमेंटिक हार्ट डिजिज उसका ईलाज भी स्वास्थ्य विभाग करवा रहा है।उन्होंने बताया कि जिला नागरिक अस्पताल पलवल में डिस्ट्रिक अर्ली इन्टरवेंशन सेंटर (डीईआईसी) नाम की एक संस्था मौजूद है जहां पर पीडीयाट्रीशियन व अन्य प्रशिक्षित डॉक्टर और फिजीयोथेरेपिस्ट ऐसे सभी बच्चों का कहीं भी किसी लेवल पर सदैव तत्पर है। आरबीएसके प्रोग्राम के तहत 18 साल तक हर बच्चे का कांप्रीहेंसिव मेडिकल ट्रीटमेंट और रिहेबिलिटेशन करने के लिए पूर्णत्या तत्पर है। इस वर्ष 23 कंज्नाईटल हार्ट डिजिज जिसमें लगभग एक लाख से लेकर ढाई या तीन लाख रुपये तक का खर्चा आता है वे सभी ऑपरेशन बिल्कुल मुफ्त करवाए गए हैं।
सिविल सर्जन ने आमजन से आह्वïान किया कि यदि किसी दंपत्ति को लगता की उनके बच्चें में किसी भी प्रकार की कोई कमी है और वे खर्चे के डर से बच्चे का ईलाज नहीं करवा रहे है तो वे जिला नागरिक अस्पताल में स्थापित किए गए डीईआईसी सेंटर में पता करके अपने बच्चे को लेकर आएं, बच्चे की जांच व ईलाज पर किया जाने वाला पूरा खर्चा स्वास्थ्य विभाग का होगा चाहे उस बच्चे के ईलाज में कितना ही खर्चा क्यों न आए सारा खर्च विभाग उठाएगा। उन्होंने बताया कि उस दंपत्ति से बच्चे के ईलाज के लिए कोई पैसा नहीं लिया जाएगा। उन्होंने सभी बच्चों को बधाई देते हुए प्रेरणा दी कि इसी प्रकार जीवन में आगे बढते रहें जबतक की जीवन में सफलता प्राप्त नहीं हो जाती।

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