किसानों की आवाज दबाने पर आम आदमी पार्टी ने माँगा खट्टर सरकार इस्तीफा

0
200

नई दिल्ली। केन्द्र के कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा किए जा रहे आंदोलन को लेकर किसानों के साथ जिस तरह का व्यवहार किया जा रहा है। वह बेहद निंदनीय और शर्मनाक है। आम आदमी पार्टी इसका पहले से ही विरोध करती आई है। पार्टी ने इस काले कानून के खिलाफ संसद से सडक तक अपना विरोध जताने में कोई कसर नहीं छोडी है, यह कहना है सुशील गुप्ता, संसद आम आदमी पार्टी व सहप्रभारी हरियाणा का।
सुशील गुप्ता,ने कहा कि विश्व के सबसे बडे लोकतंत्र में किसानों की आवाज को दबाया जा रहा है। क्या अब देश में अपनी आवाज उठाना एक गुनाह हो गया है। वह अपनी बात तक नहीं रख सकते। यह खटृर सरकार की तानाशाही नहीं तो और क्या है।
उन्होंने कहा कि भाजपा शासित हरियाणा ने किसानों के ‘दिल्ली चलो मार्च’ को नाकाम करने के लिए अपने बॉर्डर सील कर दिए हैं। हरियाणा पुलिस नेे दिल्ली पहुंचने से रोकने के लिए शांति से मार्च करने वाले किसानों पर पानी की बौछारों के अलावा उन पर लाठी डंडे भी भांझे हैं। यह आजादी से पहले वाले अंग्रेजो का काला कानून है, जिसमें अपनी आवाज रखने का हक नहीं था।
मालूम हो कि राज्य सभा संसद एवं आम आदमी पार्टी हरियाणा के सहप्रभारी डॉ सुशील गुप्ता के नेतत्व में किसान विरोधी काले कानून के विरोध में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खटृर के करनाल स्थित निवास पर भी प्रदर्शन किया गया था। जहां हजारों की संख्या में किसानों ने मनोहर लाल खटृर को काले झंडे दिखा कर विरोध में नारे लगाए थे।
-सुशील गुप्ता ने कहा कि मोदी सरकार ने जो काला कानून किसानो के लिए बनाया है, हम उसके पूरे विरोध में है। यह काला कानून किसानों आढ़तियों तथा मजदूरों के लिए सीधे सीधे मौत का फरमान है। इसके सबंधित तीनों काले कानूनों को वापिस लेने और विरोध करने पर सरकार किसानों पर लाठी चार्ज, आंसू गैस के गोले दागती है। वहीं आंदोलन को प्रभावित करने के लिए किसान नेताओं को बिना बात पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार एमएसपी को खत्म करना चाहती है। सरकार किसान की फसल को नहीं खरीद रही है,जो थोडी-बहुत फसल खरीदी जा रही है, वह भी औने-पौने दामों पर।
सरकार किसानों को पूंजीपतियों का गुलाम बनाना चाहती है।
संसद सुशील गुप्ता ने कहा केन्द्र व राज्य सरकार मण्डी व्यवस्था को खत्म करके तथा खेती में ठेका प्रणाली लागू करके किसानों को पूंजीपतियों का गुलाम बनाना चाहती है। उन्होंने प्रधानमंत्री के न्यूनतम समर्थन मूल्य के जारी रहने के ब्यान को झूठा व गुमराह करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा गठित शान्ताकुमार आयोग की रिपोर्ट में न्यूनतम समर्थन मूल्य को खत्म करने की संस्तुति की गई थी। और उसी संस्तुति के आधार पर तीनों बिलों को तैयार किया गया था। जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की कोई गारंटी नहीं है।
डाॅ गुप्ता ने कहा कि यह निजी एजेंसियां किसानों की मजबूरी का फायदा उठा कर उन्हें लूट रही है। जिनके बारे में सरकार दावा का रही थी कि तीन नए कानून लागू होने के बाद फसल को एमएसपी से भी ऊंचे दामों पर खरीदा जाएगा। इससे सरकार की पोल खुल गई है तथा किसानों की वह आशंका सही सिद्ध हो गई है कि ये सारी कवायद अडानी और अम्बानी के लिए की गई है।पंजाब सरकार भी भाजपा से मिली हुई है।
राज्यसभा संसद सुशील गुप्ता ने कहा जहां तक हरियाणा एवं पंजाब की सरकारों की बात है तो यह दोनों ही एक दूसरे से मिली हुई है। यह दोनों ही कृषि प्रधान प्रदेश बाले जाते है जहां 65 से 70 प्रतिशत से अधिक लोग परोक्ष तथा अपरोक्ष रूप से खेती से जुड़े हैं। लेकिन दोनों ही राज्यों ने किसान विरोधी काले कानून को लागू करने के बात करती है। पंजाब सरकार काले कानूने के विरोध में सड़क पर प्रदर्शन करती है, मगर इससे विराधे में विधानसभा का सत्र नहीं बुलाती। यह दोनों का गठबंधन दिखाता है।
भाजपा की हरियाणा में सहयोगी पार्टी जजपा किसानों को पीटता देखती है।
राज्य सभा संसद डॉ सुशील गुप्ता ने प्रदेश की भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि हरियाणा में सरकार नाम की कोई चीज नहीं है पूरी तरह जंगल राज फैला हुआ है, प्रदेश सरकार की नीतियों की वजह से आमजन रोजी रोटी के लिए मोहताज है। हरियाणा का मतदाता भाजपा की सरकार बना कर अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार पूरी तरह फेल हो चुकी है। इसलिए इसे अब एक मिनट भी सत्ता में बने रहने का कोई हक नहीं रह गया है। इसलिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर तुरंत ही त्याग पत्र दे देना चाहिए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here