नई दिल्ली :सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से कहा कि वह अपनी 10 महीने की चुप्पी तोड़े और बैंकों के खिलाफ ब्याज दरों को लेकर की गई शिकायतों पर अपने फैसले को सार्वजनिक करे।
कोर्ट ने आरबीआई से कहा कि वह एक एनजीओ और अन्य की ओर से दाखिल उस याचिका पर जवाब दे, जिसमें आरबीआई से यह पक्का करने की मांग की गई है कि बैंक और एनबीएफसी कम ब्याज दरों का फायदा कंज्यूमर्स को दें। याचिका में आरबीआई से यह मांग भी की गई है कि कम ब्याज दरों का फायदा न देने से कंज्यूमर्स को हुए नुकसान की रिकवरी बैंकों और एनबीएफसी से की जाए।
यह याचिका मनीलाइफ फाउंडेशन और सुचेता दलाल सहित अन्य लोगों ने वकील जतिन झावेरी के जरिए दाखिल की थी। उनकी ओर से सीनियर ऐडवोकेट श्याम दीवान ने दलीलें पेश कीं। दीवान ने कहा कि आरबीआई रीपो रेटघटाता रहता है, लेकिन प्राय: ये बेनेफिट्स कंज्यूमर को नहीं दिए जाते हैं। याचिका में अनुमान दिया गया कि हर 1 प्रतिशत का बेनिफिट न देने पर कंज्यूमर्स/बॉरोअर्स को 15000 करोड़ से 20000 करोड़ रुपये का बेजा नुकसान हुआ।
इस जनहित याचिका में छोटे होम, एजुकेशन और कंज्यूमर लोन पर बैंकों की ओर से मनमाने, अनुचित, भेदभावपूर्ण तरीके से ब्याज की गणना को चुनौती दी गई। इसमें कहा गया, ‘ब्याज की गणना के ये तरीके और खास तौर से फ्लोटिंग रेट वाले लोन का ऐडमिनिस्ट्रेशन संविधान के अनुच्छेदों 14 और 21 के तहत नागरिकों को मिले मौलिक अधिकारों का खुला उल्लंघन है।’
देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने आरबीआई से याचिकाकर्ताओं की दलील पर 6 हफ्तों में जवाब देने को कहा। इस बेंच में जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के. एम. जोसेफ भी हैं। बेंच ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि आरबीआई के जवाब से अगर उनकी शिकायत दूर नहीं होती तो वे फिर इस अदालत में आएं।
याचिका में दावा किया गया कि यह शिकायत उस मिडल क्लास और लोअर मिडल क्लास की ओर से दाखिल की गई है, जिसने विभिन्न ब्याज दरों के तहत फ्लोटिंग रेट सिस्टम के तहत हाउसिंग, एजुकेशन और कंज्यूमर लोन लिए हैं।
यह याचिका कारोबारियों और उद्योगपतियों के लोन से जुड़ी नहीं है। इसमें दावा किया गया कि आरबीआई के पास आरबीआई ऐक्ट 1934 और बैंकिंग रेग्युलेशंस ऐक्ट 1949 के तहत पर्याप्त शक्ति है कि वह बैंकों को यह आदेश दे सकता है कि वे छोटे होम, एजुकेशन और कंज्यूमर लोन पर कम ब्याज दरों का फायदा दें।
याचिका में कहा गया, ‘पुराने और नए कस्टमर्स से पर लगाई जाने वाली ब्याज दर में बड़ी असमानता है। नए कस्टमर्स को पुराने कस्टमर्स के मुकाबले बेहद कम फ्लोटिंग रेट पर लोन ऑफर किया जा रहा है।’
याचिका में कहा गया कि आरबीआई बैंकों को यह निर्देश दे कि इस याचिका में जिन अनुचित हरकतों का जिक्र किया गया है, उन्हें वे अबसे न करें और उन कंज्यूमर्स को पैसा लौटाएं, जिनसे ओवरचार्जिंग की गई। इसमें शिकायत की गई है कि ब्याज दरों में इजाफा तो तुरंत लागू कर दिया जाता है, लेकिन कमी को किसी न किसी बहाने से टाला जाता है।