नई दिल्ली:पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने आज कहा कि भले ही सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को पेट्रोल और डीजल पर एक रुपये की सब्सिडी देने को कहा है, लेकिन पेट्रालियम ईंधन को कीमत ‘नियंत्रण मुक्त’ रखने के निर्णय से पीछे हटने का सवाल ही उठता है।
यहां दी एनर्जी फोरम के एक सम्मेलन में प्रधान ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के भाव के चार साल के उच्चतम स्तर 85 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचना एक चुनौती है। इसके कारण ईंधन के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। उत्पाद शुल्क में कटौती और ईंधन पर सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी के बावजूद दाम बढ़ रहे हैं। प्रधान ने कहा कि उन्होंने सऊदी अरब के पेट्रोलियम मंत्री खालिद ए. अल. फलीह से बात की थी और उन्हें जून में जताई गई प्रतिबद्धता की याद दिलाई।
जून में उन्होंने कहा था कि ओपेक ईंधन के दाम में नरमी के लिए तेल उत्पादन बढ़ाने के लिए 10 लाख बैरल प्रतिदिन उत्पादन बढ़ाएगा। उन्होंने कहा, ‘हो सकता है ओपेक जून में किए गए फैसले पर अमल नहीं कर रहा।’
एक तरफ अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के ऊंचे दाम और रुपये की विनिमय दर में गिरावट से आयात महंगा हुआ है। इसके कारण घरेलू बाजार में ईंधन के दाम बढ़ रहे हैं। सोमवार को पेट्रोल की कीमत में 21 पैसे प्रति लीटर जबकि डीजल के दाम 28 पैसे प्रति लीटर बढ़े।
इस बढ़ोतरी के बाद दिल्ली में पेट्रोल 82.03 रुपये लीटर और डीजल 73.82 रुपये लीटर पर पहुंच गया है। प्रधान ने कहा कि पेट्रोल और डीजल के उत्पाद शुल्क में 1.50-150 रुपये लीटर की कटौती की गई, जबकि सरकारी कंपनियों से ग्राहकों को राहत देने के लिए मूल्य में 1 रुपये लीटर की कटौती करने को कहा गया।
प्रधान ने कहा, ‘मूल्य नियंत्रण मुक्त व्यवस्था से पीछे नहीं हटना है।’ वर्तमान व्यवस्था के तहत पेट्रोलियम ईंधन के भाव अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रचलित मानक दर और रुपये की विनिमय दर में घट बढ़ के आधार पर रोज तय किए जाते हैं।
इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन के चेयरमैन संजीव सिंह ने कहा कि तेल कंपनियों को दैनिक आधार पर दरों में बदलाव की आजादी है और 1 रुपये प्रति लीटर सब्सिडी अस्थायी कदम है। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से चालू वित्त वर्ष में तेल कंपनियों के लाभ में 4,000 करोड़ रुपये से 4,500 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। प्रधान ने कहा कि केंद्र ने अपनी ओर से पहल की है और अब राज्यों को आगे आना चाहिए और बिक्री कर या वैट में कमी लानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि वह मुद्दे को राजनीतिक रंग नहीं देना चाहते लेकिन राज्यों को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और मूल्य वर्द्धित (वैट) में कटौती करनी चाहिए।