नई दिल्ली : आम्रपाली के मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल शर्मा और दो अन्य डायरेक्टरों की दिवाली पुलिस की निगरानी में होटल में ही बीतेगी। दिवाली पर इन्हें घर जाने की इजाजत दिए जाने की मांग की उनके वकीलों की दलीलें सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दीं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप उन 46 हजार होम बायर्स के बारे में सोचें उनकी दिवाली कैसे होगी। इनकी तो दिन में रोज होली और रात में दिवाली होती रही है।दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से आम्रपाली के तीन डायरेक्टर्स को नोएडा के होटल में पुलिस सर्विलांस में रखा गया है और निर्देश दिया गया है कि वह कंपनी के तमाम दस्तावेज और बैंक ट्रांजेक्शन के डीटेल्स फरेंसिक ऑडिटर को सौंपें। तब तक वह यहीं रहेंगे।
बायर्स के वकील एमएल लाहोटी: कंपनी के 102 डायरेक्टर्स हैं, उनके डीटेल्स नहीं दिए गए हैं। साथ ही तमाम दस्तावेज अभी तक फरेंसिक ऑडिटर को नहीं मिले हैं।
आम्रपाली के डायरेक्टर की ओर से पेश वकील गीता लूथरा: दिवाली आने वाली है। ऐसे में आम्रपाली के डायरेक्टर्स को इस दौरान घर जाने की इजाजत दी जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट: आम्रपाली तीन दिन के भीतर तमाम कंप्यूटर के पासवर्ड बताए। जेपी मॉर्गन कंपनी में आम्रपाली का पैसा गया है और ये फेमा का उल्लंघन है। ऐसे में निर्देश दिया जाता है कि मॉरिशस की कंपनी में कितने ट्रांजक्शन हुए हैं, उसका ब्योरा दिया जाए। ये तमाम डीटेल्स 12 नवंबर तक दिए जाएं। अगली सुनवाई 13 को होगी।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा: आपने (डायरेक्टर्स) कभी ये सोचा कि इन हजारों बायर्स की दिवाली कैसे मनेगी? ये लोग कैसे घर को मैनेज कर रहे हैं आपको पता है? एक तरफ ईएमआई दे रहे हैं तो दूसरी तरफ रेंट भर रहे हैं। आपकी तो दिन में होली और रात में दिवाली होती है। आप अपनी दिवाली के बारे में सोच रहे हैं। इनकी (बायर्स) की दिवाली के बारे में कभी सोचा है?
सुप्रीम कोर्ट में पेश फरेंसिक ऑडिटर: आम्रपाली ग्रुप की कंपनी से मॉरिशस की कंपनी जेपी मॉर्गन को 125 करोड़ डायवर्ट हुए हैं। इस मामले में न सिर्फ डायरेक्टर, बल्कि तमाम स्टेच्यूटरी ऑडिटर्स और चीफ फाइनैंस ऑफिसर (सीएफओ) की मिलीभगत है और एक बड़ा सिंडिकेट काम कर रहा है। यह फेमा के उल्लंघन का भी मामला है। सीएफओ को 45 लाख की कार दी गई। उनका दो करोड़ का इनकम टैक्स कंपनी ने भरा है। सीएफओ की कंपनी को 81 करोड़ डायवर्ट किए गए और फिर वह पैसा रूट किया गया। हर रोज नई कंपनियों के मामले सामने आ रहे हैं। ज्यादातर में कंपनी के ऑडिटर्स और सीएफओ या उनके रिश्तेदारों को डायरेक्टर आदि बनाए गए हैं।
सीएफओ: कंपनी ने कार दी थी और टैक्स भी कंपनी ने भरा था। उन्होंने कंपनी के लिए जो काम किया था, उसी एवज में उन्हें कार दी गई और कंपनी ने दो करोड़ का टैक्स भरा।
सुप्रीम कोर्ट: आप अपने आप को मूर्ख बना रहे हैं। सही-सही बताएं कि किस एवज में ये सहूलियतें कंपनी ने दी थी? क्या पत्नी आम्रपाली ग्रुप में डायरेक्टर थीं और उन्हें 24 लाख सालाना मिला था? आपकी (सीएफओ) कंपनी में आम्रपाली का पैसा क्यों गया और फिर वापस क्यों आया? आपको आखिरी मौका दिया जाता है कि आप सारे फैक्ट कोर्ट को बताएं। अगर एक भी फैक्ट छुपाया गया या फिर गलत जानकारी दी गई तो यह कंटेप्ट होगा और साथ ही अदालत में शपथ लेकर झूठ बोलने का मामला बनेगा।
फरेंसिक ऑडिटर: आम्रपाली ग्रुप ने 117 कंम्यूटर दिए हैं और ये नहीं बताया कि किस कंपनी के कौन से कंप्यूटर हैं और पासवर्ड क्या है। साथ ही बैंक अकाउंट के पूरे डीटेल नहीं हैं। किस डेट को अकाउंट खोला गया, इसकी पूरी जानकारी नहीं है।