अमेरिकी प्रतिबंध से बढ़ रहा अविश्वास -उत्तर कोरिया

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सियोल। उत्तर कोरिया ने अमेरिका द्वारा लगाए प्रतिबंधों का विरोध किया है और कहा कि इस तरह के कदमों से दोनों देशों के बीच भरोसा कम होगा। साथ ही इसका असर दोनों देशों के बीच हुई परमाणु वार्ता पर भी पड़ेगा। बता दें कि उत्तर कोरिया के तरफ से ये बयान अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो के दौरे से पहले आया है। माइक पोंपियो 7 अक्टूबर को उत्तर कोरिया के दौरे पर जाएंगे।

बता दें कि परमाणु मसले पर वार्ता में आए गतिरोध के दूर होने के बाद अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो अगले हफ्ते उत्तर कोरिया के दौरे पर जा रहे हैं। वह प्योंगयांग में उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन से मुलाकात करेंगे। पोंपियो छह से आठ अक्टूबर तक चार एशियाई देशों उत्तर कोरिया, दक्षिण कोरिया, जापान और चीन के दौरे पर रहेंगे।

वह छह-सात अक्टूबर को टोक्यो में रहेंगे और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबी से मुलाकात करेंगे। इसके बाद वह प्योंगयांग जाएंगे और किम से मिलेंगे। यहां से पोंपियो सियोल पहुंचेंगे और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन और विदेश मंत्री कांग क्यूंग-वा से भेंट करेंगे।

उत्तर कोरिया के अधिकारिक अखबार में कहा गया कि अमेरिका को इन प्रतिबंधों से कुछ भी हासिल नहीं होगा, बल्कि इससे उनका ही नुकसान होगा।

पहले की तरह हम अमेरिका से इन प्रतिबंधों को हटाने के लिए नहीं कहेंगे। अखबार में आगे कहा गया कि परमाणु निरस्त्रीकरण वॉशिंगटन और प्योंगयांग के बीच भरोसे का नतीजा है। लेकिन अमेरिका ने द्वारा लगाए गए प्रतिबंध अविश्वास को जन्म दे रहे हैं।

अखबार में लिखा है कि उत्तर और दक्षिण कोरिया के नेताओं के बीच हालिया अंतर-कोरियाई शिखर बैठक के दौरान किए गए अपने सभी वादों को पूरा किया गया है, जिसमें मिसाइल इंजन को नष्ट करना और लॉन्चिग पैड साइट व योंगबीन में अपने मुख्य परमाणु केंद्र को बंद करना शामिल था। आगे कहा गया है कि उठाए गए कदम इस बात का स्पष्ट सकेंत देते हैं कि उत्तर कोरिया ने अपनी वचनबद्धता को निभाया है। लेकिन इसके बदले में अमेरिका ने लगाए गए प्रतिबंधों को नहीं हटाया।

 

 

 

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